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CORONA TREATMENT,Must read ( Do and don't in corona )

मेरा आज बीसवां दिन है कोरोना का। मैं पांच दिन अस्पताल में रह कर आया हूं और आप सब के और ईश्वर के आशीर्वाद से अब पूरी तरह ठीक हूं।

मेरे अब तक के ज्ञान और अनुभव का निचोड़ मै यहां प्रस्तुत कर रहा हूं। कोरोना का अनुभव महत्वपूर्ण है क्योंकि वो सब के पास नही है और अगर आप मेरे इस अनुभव को सही से समझ कर अपनाते हैं तो 90% मौतें बच सकती हैं। कृपया अपने घर वालों, दोस्तों और परिजनों को जरूर बताएं। 10–15 मिनट का टाइम निकलकर जरूर पढ़ें । यह 100% बचने की गारंटी तो नही है लेकिन आप संतुष्ट होंगे की मैने अपना 100% प्रयास किया। आपका इस बीमारी के प्रति शुरू से गंभीर होना ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। लिखने का उद्देश्य बहुत सारी भ्रांतियां दूर करना और सही जानकारी देना है। चूंकि मैं मेडिकल फील्ड से नहीं हूं इसलिए 100% सही होने का दावा नही कर सकता लेकिन इस भंवर में आपको सही दिशा जरूर मिलेगी।


अगर आप को इस समय बुखार, खांसी, बदन दर्द होता है तो सबसे पहले आप तुरंत मान लें कि आप को कोरोना हो गया है।


कोरोना का लक्षण इन्फेक्शन से दूसरे दिन से ले कर पांचवे दिन के बीच आता है।


चूंकि इन्फेक्शन कब आया ये निश्चित नहीं है अतः सभी काउंटिंग आप लक्षण वाले पहले दिन से करना शुरू करें।


तुरंत RTPCR टेस्ट कराएं लेकिन रिपोर्ट का इंतजार किए बिना इलाज शुरू कर दें। रिपोर्ट नेगेटिव आए तब भी इलाज जारी रखें क्योंकि 50% केस में नया कोरोना strain RTPCR में पकड़ में नहीं आ रहा है।


लक्षण के पहले तीन दिन महत्वपूर्ण हैं। इसमें आप खूब स्टीम ले कर कोरोना वायरस को नाक और साइनस में ही या फेफड़े की मुख्य नाली में ही खत्म करने की कोशिश कर सकते है।


इस बीच में आप विटामिन सी, मल्टी विटामिन, जिंक इत्यादि ले कर अपनी बॉडी की इम्यूनिटी बढ़ा सकते हैं और वायरस से लड़ने के लिए अपने आप को तैयार कर सकते हैं


अगर आपके लक्षण हल्के हैं या आपका स्वाद और गंध चला गया है तो संभवतः आपको mild (हल्का) COVID है।

अगर आपको तेज बुखार और बदन दर्द हुआ है तो संभवतः यह मध्यम दर्जे का (moderate) या Severe COVID होगा।


तीन दिन में अगर आपके लक्षण कम नही होते और बुखार बढ़ता है तो इसका मतलब है वायरस आपके फेफड़े में अंदर तक पहुंच चुका है। अब स्टीम कम कर दें -दिन में दो से तीन बार क्योंकि अब इसका रोल केवल आपके फेफड़े के रास्ते को साफ रखना है जिससे हवा और ऑक्सीजन आप के फेफड़े तक पहुंचती रहे। अब यह वायरस को मार नही सकती क्योंकि वायरस फेफड़े की गहराई जिसको Alveoli कहते हैं वहां तक पहुंच गया है और वहां स्टीम का टेंपरेचर नहीं पहुंच सकता।


अब आपका लक्ष्य वायरस के मल्टीप्लिकेशन को कंट्रोल करना है। इसके लिए एंटी वायरल शुरू करें जो इस प्रकार है:


Doxycycline 100mg दिन में दो बार लक्षण के नौवे या दसवें दिन तक

Ivermectin 12mg दिन में एक बार 4 दिन तक

Fabiflu पहले दिन 1800mg+1800mg

दूसरे से सातवे दिन 800mg+800mg


ध्यान रहे कि कोरोना वायरस को मारने की कोई दवा अभी तक नही बनी है। ये दवाइयां केवल वायरस को मल्टीप्लाई होने से रोकने की कोशिश करेंगी।


मैने इसके अलावा कुछ सपोर्टिंग दवाइयां जैसे Montair LC, Deflazacort और AB Flow N1 भी लीं जिनका काम केवल एलर्जी को कम रखना और श्वसन सिस्टम को सपोर्ट करना था।


लक्षण के पांचवे दिन तक आपके शरीर में पर्याप्त एंटीबॉडी बन जाती हैं। अब अगर दवाइयों और आपकी बॉडी के प्रयास से वायरस कमजोर पड़ा और आपकी बॉडी जीत गई तो छठे दिन से आपकी रिकवरी शुरू हो जाएगी और आप 10वे दिन कोरोना से मुक्त हो जायेंगे।


अगर पांचवे छठे दिन से बुखार बढ़ जाता है और लक्षण और प्रबल होते हैं तो आप मान लीजिए कि कोरोना काफी मजबूत स्थिति में आ चुका है और आपकी बॉडी में कोरोना से जबरदस्त लड़ाई शुरू हो चुकी है। चूंकि एंटीबॉडी 5वे दिन तक पर्याप्त मात्रा में बन चुकी है इस लिए अब वायरस और नही बढ़ेगा लेकिन अब आपका शरीर ही इतनी बुरी तरह से रिएक्ट करना शुरू कर देगा कि अपने आप को ही बुरी तरह डैमेज करने लगेगा।

अतः अब आप का काम बॉडी के इम्यून सिस्टम को कंट्रोल करना और शांत करना है जिससे ये खुद ही अपनी बॉडी को पूरी तरह डैमेज न कर ले।


अगर बुखार पांचवे छठे दिन तक और बढ़ गया है या बाकी लक्षण बढ़ गए हैं तो पांचवे या छठे दिन HRCT( छाती का सीटी स्कैन) कराएं।


अगर सीटी स्कोर 5/25 या उससे कम है और सांस लेने में दिक्कत नही है या सीने में भारीपन नही है तो आपको माइल्ड निमोनिया है। आप दवाइयां चालू रखे और स्टीम लेते रहे, नेबुलाइजर लें और ठीक हो जाएंगे। चाहें तो 5 दिन बाद CT रिपीट कर लें जिससे यह सुनिश्चित हो जाय कि infection बढ़ा नही है।


अगर आपका CT score 6/25 से 14/25 के बीच है तो आपको मॉडरेट (मध्यम दर्जे का) निमोनिया हो चुका है। आप तुरंत steroid लेना शुरू करें अन्यथा यह गंभीर निमोनिया में बदल जायेगा।


Steroid इस प्रकार लें:


Dexamethasone (अलग अलग ब्रांड नाम से मार्केट में है)

या

Methylpresdnisolon(अलग अलग ब्रांड नाम से मार्केट में है)


16mg दिन में दो बार पांच दिन तक

फिर 8mg दिन में दो बार 3 दिन तक

फिर 4 mg दिन में दो बार 2 दिन तक।


आप ये निश्चित जान लीजिए कि अगर आपका इन्फ्लेमेशन और निमोनिया बढ़ गया है तो steroid ही आपके बचा सकता है और अधिक डैमेज से।


यह एंटी inflammatory और लाइफ सेविंग दवा है। अतः आप लोगों की उल्टी सीधी बातों में बिलकुल न आए।अगर आपको steroid से डर लगता है या कोई शंका है तो बता दूं कि मुझे दिन में दो बार 40 mg steroid injection दिया गया। मेरे साथी हैं उन्हें 125mg दिन में दो बार steroid injection दिया गया।

अधिकतम steroid आप अपने वजन के बराबर mg में प्रतिदिन ले सकते है। अगर severe case है तो डॉक्टर वजन के दो गुना तक प्रतिदिन steroid देते हैं।


अगर आपको डायबिटीज है तो उसको कंट्रोल करने की जरूरत पड़ेगी क्योंकि steroid से शुगर लेवल बढ़ेगा।


यह भी ध्यान रखें कि पहले पांच दिन में स्टीरॉयड नही लेना है नही तो ये इम्यून system को स्लो कर देगा और बॉडी वायरस से नहीं लड़ पाएगी।


दूसरा steroid को अचानक बंद नही करना है नही तो गलत प्रभाव पड़ेगा। 5 दिन तक 16 mg फिर 3 दिन 8mg और फिर 4mg पर ला कर बंद करना है।


Inflamation के कारण आपके शरीर में ब्लड clot (खून के छोटे छोटे थक्के) भी बनते हैं अतः आप साथ में Ecosprin 75mg भी डिनर के बाद लें खून पतला करने और थक्के कम करने के लिए अन्यथा ये ब्रेन स्टोक या हार्ट अटैक कर सकते है।


हार्ट, बीपी इत्यादि की पहले से बीमारी होने पर डॉक्टर से कंसल्ट कर के ये दवाएं लें।


बुखार को किसी भी हाल में न बढ़ने दें । 99 आते ही Dolo 650mg या कोई अन्य दवा लें। जरूरत पड़ने पर यह आप हर 3–4 घंटे पर भी ले सकते हैं। बुखार बढ़ते ही आपकी बॉडी की लड़ने की क्षमता कम हो जाती है और ऑक्सीजन गिरने लगता है।


पांचवे या छठे दिन HRCT के साथ साथ निम्न ब्लड टेस्ट भी कराएं:


CBC

CRP

D-Dimer

Ferritin

अगर CRP काफी बढ़ा हुआ है तो ये बॉडी में inflamation या damage दर्शा रहा है। बाकी टेस्ट रिपोर्ट भी बढ़े हुए आने पर ये आपके अलग अलग अंगों में inflamation का लेवल बता रहे होंगे।


अगर आपका ऑक्सीजन 90 से नीचे जा रहा है तो तुरंत अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है। लोगों और डाक्टर के कहने मे ना आए क्योंकि हर व्यक्ति आपको अस्पताल जाने से discourage करेगा जिससे अस्पताल में भीड़ न हो। लेकिन अगर आप अच्छे अस्पताल में व्यवस्था कर सकते हैं तो आप सुरक्षित होंगे और सबसे ज्यादा आपका आत्मविश्वास बढ़ जाएगा जो कि बहुत जरूरी है इस बीमारी में। इसके अलावा आप प्लान कर के समय से अस्पताल जा पाएंगे अन्यथा ऑक्सीजन अगर 80 पहुंच गया तब आप इमरजेंसी में इधर उधर भागेंगे, आपको अच्छा अस्पताल नही मिल पाएगा और आप का ऑक्सीजन लेवल घबराहट में और तेजी से नीचे गिरेगा।


अगर आपका CT score 15/25 या उससे ज्यादा है तो आप का severe case है। आपको तुरंत intravenous treatment की जरूरत है। आपका फेफड़ा काफी प्रभावित हो चुका है। अब आपको हाई डोज स्टीरॉयड इंजेक्शन ही ठीक कर सकता है। इसलिए बिना सोचे तुरंत अस्पताल में एडमिट हों।


जितना हो सके घर में और अस्पताल में भी सीने के बल लेटें।

Oxygen down होने पर अर्ध भुजंग आसान में आ कर जोर जोर से गहरी सांस खींचे। इससे आपका ऑक्सीजन 10 प्वाइंट तक बढ़ जाएगा।


घर में और अस्पताल में भी अपने से (बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के) ऑक्सीजन लेवल 90 से ऊपर मेंटेन करने की कोशिश करे।


एक बार अगर आप ऑक्सीजन सपोर्ट पर पहुंच गए फिर आपकी वापसी की संभावना 50% ही रह जायेगी और अगर कोई वेंटीलेटर तक पहुंच गया तो वापस लौटने के संभावना केवल 10% ही रह जायेगी।


इस पूरी बीमारी में समय बड़ा कीमती है। एक एक दिन महत्वपूर्ण है। अगर आपने एक भी स्टेप में एक भी दिन की देरी की तो परिणाम बहुत अलग हो सकता है।


अगर आप वायरस से और बीमारी से आगे दौड़े तो आप जीतेंगे और अगर वायरस या बीमारी आप से आगे दौड़ी तो बीमारी जीतेगी।


मैं और मेरे मित्र हम दोनो एक साथ इनफेक्ट हुए ऑफिस में। उनका treatment हर स्टेज में मुझसे दो दिन पीछे चलता रहा जिसके कारण उनका infection मेरी तुलना में काफी ज्यादा बढ़ गया और जहां मैं 40 mg steroid से रिकवर कर गया, उन्हें 125 mg steroid और Remedesivir देना पड़ा। इससे आप टाइमली treatment की इंपोर्टेंस समझ सकते हैं। शायद मैंने दो दिन और पहले टेस्ट करवा लिया होता और ट्रीटमेंट शुरू कर दिया होता तो अस्पताल जाने की भी नौबत नहीं आती(मैने 8वे दिन HRCT कराया और 10वे दिन steroid शुरू किया)


वायरस की लाइफ ह्यूमन बॉडी में सिर्फ 9 दिन होती है। अतः पहले हफ्ते में आपको वायरस से लड़ना है। दूसरे हफ्ते में आपको अपनी बॉडी को शांत करना है लड़ने से। नही तो ये सेल्फ डैमेज कर लेगी। steroid यही करता है। इम्यून सिस्टम को शांत करता है नही तो यह मरे हुए वायरस को भी मारने में लगा रहेगा और इस प्रक्रिया में बॉडी पार्ट्स को डैमेज करता जायेगा।


9 दिन के बाद आप केवल इस लड़ाई में चारो तरफ हुए डैमेज से उबरने का संघर्ष करते हैं।


अगर आपने ढिलाई की और लड़ाई बड़े स्तर पर चली गई तो वायरस तो 9 दिन में मर जायेगा लेकिन इतना तहस नहस हो चुका होगा कि उसे ठीक करने की जद्दोजहद हफ्तों चल सकती है और आपको वेंटीलेटर तक भी पहुंच सकती है।


उपरोक्त बाते मेरे अनुभव और जो मैने इस बीच में स्टडी की है उसके आधार पर है।


समाज में अभी भी बहुत भ्रांति और कन्फ्यूजन है ट्रीटमेंट को ले कर, टेस्ट को लेकर और स्टीरॉयड को ले कर। अतः शायद मेरा अनुभव आपको हेल्प करे।


मैं मानता हूं कि अगर आप अलर्ट रहे और बीमारी से आगे दौड़े तो आप 99% जीतेंगे। 85% केस माइल्ड ही होते हैं अतः नॉर्मल ट्रीटमेंट से ठीक हो जाते हैं। इसलिए डरने की नही बल्कि सतर्क रहने और जागरूक रहने की जरूरत है। क्योंकि आपको पता नही है कि आप 85% में हैं या 15% में। ये आप केवल हर स्टेज में सतर्क रह कर और समय से एक्शन ले कर ही सुनिश्चित कर सकते हैं की आप अगली 15% की पंक्ति तक न पहुंचे।


अगर आप पिछड़ गए दौड़ में तो बाजी आपके हाथ से निकल सकती है। जीतेंगे फिर भी आप लेकिन सिर्फ डॉक्टर, अस्पताल और ईश्वर के सहारे ।

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